बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम
प्यारे दोस्तों ,
ज़िन्दगी का सफर तय करते करते राहों में कई मोड़ आये और उन मुक़ामोँ पर बहुत से एहसास अल्लाह की तरफ से दिल में पैदा हुए। उन सभी एह्सासों को गुज़िश्ता कई सालोँ से काग़ज़ी जामा पहनाता चला आ रहा हूँ। कई बार दिल में आया कि इन सभी एह्सासों को एक किताब की शक्ल दी जाए मगर ये कभी हो न सका , आज अल्लाह के नाम से शुरू करते हुए आप लोगों के बीच आने की हिम्मत कर रहा हूँ। इससे पहले मेरे अलफ़ाज़ मेरे वालिद साहब , अम्मी जान ,मेरे प्यारे भाइयों और चुनिंदा दोस्तोँ तक ही महदूद थे।
भाईयों और बहनोँ मैं न तो उर्दू का कोई बहुत बड़ा जानकार हूँ और न ही ज़िन्दगी का मगर ऐसा लगता है की अल्लाह ताला ने इनायत करते हुए कुछ अलफ़ाज़ अता फ़रमाये हैं तो क्यों ना आप लोगोँ के साथ उनको बाँटा जाए।
अल्लाह मेरे इस क़दम में मेरा साथ दे और कामयाब करे। अपनी पहली नज़्म आज आप सबके साथ साझा करने जा रहा हूँ उम्मीद है आप लोगों को छुएगी। अगर ये नज़्म आपके दिल तक पहुँचे तो दुआ ज़रूर दीजियेगा जिससे मेरे हौंसलों को परवाज़ मिल सके।
इक़बाल अहमद
Masha allah iqbal bhai jaan..bahut hi sundar nazm hai aapki.
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